Manna Dey, Tr. by Raksha Shukla

Yadden ji uthi: ek atmakatha / यादें जी उठीं : एक आत्मकथा - Gurgaon Penguin Books 301520 - xiv,282 Pp

‘यादें जी उठीं : एक आत्मकथा’ में मन्ना डे यादों के जंगल में उतरते हैं - कुश्ती और फुटबॉल के लिए उनका शुरुआती जुनून, लड़कपन की शरीरतें - कन्फ़ैक्शनरी स्टोर से टॉफियां चुराना और पड़ोसी की छत पर चोरी से चढ़कर अचार के मर्तबान साफ कर देना, और उनके चाचा और गुरु के. सी. डे (1930 के दशक के मशहूर गायक और संगीतकार) का प्रभाव। मुंबई में अपने चाचा और एस. डी. बर्मन जैसे अन्य संगीतकार के साथ सहायक संगीत निर्देशक के तौर पर काम करने और हिन्दी फ़िल्मों मे बतौर प्लेबैक गायक अपनी जगह बनाने की जद्दोजहद, रफ़ी, मुकेश और किशोर कुमार जैसे महारथियों के साथ प्रतियोगी दौर को उन्होंने बहुत स्पष्टता से याद किया है। बंगाली फिल्मी और ग़ैर फ़िल्मी संगीत जगह के बारे में भी, जिसके वे एकछत्र सम्राट हैं, उन्होंने काफ़ी खुलकर बातें की हैं। रफ़ी के साथ पतंगबाज़ी मुकाबले जैसी दिलचल्प घटनाएं, उनके कुछ मशहूर गानों के लिखने और बनने के पीछे की कहानियां, राज कपूर, मजरूह सुल्तानपुरी, पुलक बंदोपाध्याय और सुधीन दासगुप्ता जैसी हस्तियों के साथ संबंधों की बातें और उनके सारे गानों की विस्तृत फेरहिस्त के साथ यादें जी उठीं सिर्फ़ मन्ना डे के प्रशंसकों के लिए ही नहीं, भारत में लोकप्रिय संगीत के कद्रदानों के लिए भी एक नायाब तोहफ़ा होगी।

9780143103189

782.1092 D53 Y / 301520