000 | 02985nam a22001697a 4500 | ||
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005 | 20210325120947.0 | ||
008 | 210325b ||||| |||| 00| 0 eng d | ||
020 | _a978-93-88684-82-8 | ||
040 | _cVani Prakashan | ||
082 |
_a782.0092 M6875 A _b301912 |
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100 | _aYatindra Mishra, Editor | ||
245 |
_aAkhtari : Soz Aur Saaz Ka Afsana / अख्तरी: सोझ और साज का अफसाना _cYatindra MishraNew |
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260 |
_aNew Delhi _bVani Prakashan _c2019 |
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300 | _a273 Pp | ||
521 | _aBiographical book which talks about life and music of Begum Akhtar. Few notes by renowned personalities, उन्होंने अपनी ठुमरियों और दादरों में पूरबी लास्य का जो पुट लगाया, उसने दिल टूटने को भी दिलकश बना दिया। -सलीम किदवई उनके माथे पर शिकन न होती, ख़ूबसूरत हाथ हारमोनियम पर पानी की तरह चलते, वह आज़ाद पंछी की तरह गातीं। -शीला धर मैं ग़ज़ल इसलिए कहता हूँ, ताकि मैं ग़ज़ल यानी बेगम अख़्तर से नज़दीक हो जाऊँ। -कैफ़ी एक यारबाश और शहाना औरत, जिसने अपनी तन्हाई को दोस्त बनाया और दुनिया के फ़रेब से ऊपर उठकर प्रेम और विरह की गुलूकारी की। -रीता गांगुली उनकी लय की पकड़ और समय की समझ चकित करती है। समय को पकड़ने की एक सायास कोशिश न लगकर ऐसा आभास होता है, जैसे वो ताल और लयकारी के ऊपर तैर रही हों। -अनीश प्रधान वो जो दुगुन-तिगुन के समय आवाज़ लहरा के भारी हो जाती थी, वही तो कमाल का था बेगम अख़्तर में। -उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ भारतीय उपशास्त्रीय संगीत गायन में बेगम अख़्तर का योगदान अतुलनीय है। ठुमरी की उन विधाओं की प्रेरणा और विकास के लिए, जिन्हें आज हम ‘अख़्तरी का मुहावरा’ या ‘ठुमरी का अख़्तर घराना’ कहते हैं। -उषा वासुदेव | ||
942 |
_2ddc _cBK |
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999 |
_c81224 _d81224 |