CVV logo
विद्यया रक्षिता संस्कृतिः सर्वदा।
संस्कृतेर्मानवाः संस्कृता भूरिदा:।।
Knowledge protects culture forever
Cultured people share abundantly.Swami Tejomayananda Founder – Chinmaya Vishwavidyapeeth
CVV logo
L I B R A R Y   O P A C
Amazon cover image
Image from Amazon.com
Image from Google Jackets

Pratinidhi Kavitayen

By: Material type: TextTextPublication details: Delhi Rajkamal Prakashan 2021Description: 143ISBN:
  • 9788126724116
DDC classification:
  • 891.43171 V77 P 110579
Reviews from LibraryThing.com:
Tags from this library: No tags from this library for this title. Log in to add tags.
Star ratings
    Average rating: 0.0 (0 votes)
Holdings
Item type Current library Call number Status Barcode
Books Books Ubhayabharati 891.43171 V77 P (Browse shelf(Opens below)) Available 110579

विनोद कुमार शुक्ल समकालीन कविता के संसार में आज ऐसे कवि के रूप में बहुप्रतिष्ठित हैं जिनकी कविता को बिना उनके नाम के भी जागरूक पाठक पहचान लेते हैं। उनकी कविता, कविता के तुमुल कोलाहल के बीच चुपचाप अपने सृजन में व्यस्त दिखती है। किसी भी तरह के दिखावे, छलावे, भुलावे से दूर अपनी राह का ख़ुद निर्माण करती और उस पर निर्भय अकेले चलने की हिम्मत रखती, वह अपनी मंज़िलें तय करने में संलग्न है। विनोद की काव्य-संवेदना के विस्तार को देखने के लिए उनकी कविताओं की गहराई में उतरना होगा। उनकी काव्यात्मक जटिलता इसीलिए ऊपर से दिखाई पड़ती है क्योंकि उनकी काव्य संवेदना की तहें इकहरी न होकर दुहरी और कहीं तिहरी हैं। देखा जाए तो उनकी काव्योपलब्धि में सिर्फ़ अनोखे काव्य-शिल्प का ही योगदान नहीं है, बल्कि उनकी काव्य-वस्तु में यथार्थ को ‘देखने’ का नज़रिया भी उनके अपने समकालीनों से अलहदा रहा है। कहना चाहिए कि विनोद कुमार शुक्ल की कविता समकालीन कविता के दृश्य पर समकालीन जीवनानुभव को प्राचीनता से, प्रकृति से मनुष्य को जिस तरह उद्घाटित करती है, उससे कविता की एक दूसरी दुनिया की खिड़की खुलती है। इस दुनिया को देखने के लिए विनोद कुमार शुक्ल जैसी ‘अतिरिक्त’ देखने की दृष्टि और कला चाहिए।

There are no comments on this title.

to post a comment.
Chinmaya Vishwa Vidyapeeth©2022.All rights reserved.
Supported by FOCUZINFOTECH.