Hindi Sahitya Udbhav Aur Vikas
Material type:
- 9788126700356
- 891.4309 H3369 H 110582
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | |
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Ubhayabharati | 891.4309 H3369 H (Browse shelf(Opens below)) | Checked out | 06/08/2023 | 110582 |
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891.43 R1499 B Bhartiya Sahitya Ki Bhumika | 891.43 Sh97 P Parampara :Itihas Bodh Aur Sanskriti | 891.43 V823 V Vyomkesh Darvesh | 891.4309 H3369 H Hindi Sahitya Udbhav Aur Vikas | 891.431 Al71 D Duniya Roj Banti Hai | 891.431 M5661 S Saket | 891.431 R1269 A Aatmahatya Ke Virudh |
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी ने साहित्यिक इतिहास-लेखन को पहली बार 'पूर्ववर्ती व्यक्तिवादी इतिहास-प्रणाली के स्थान पर सामाजिक अथवा जातीय एतिहासिक प्रणाली' का दृढ वैज्ञानिक आधार प्रदान किया ! उनका प्रस्तुत ग्रन्थ इसी दृष्टि से हिंदी का अत्यधिक महत्तपूर्ण साहित्येतिहास है ! यह कृति मूलतः विद्यार्थियों को दृष्टि में रखकर लिखी गई है ! प्रयत्न किया गया है कि यथासंभव सुबोध भाषा में साहित्य की विभिन्न प्रवृत्तियों और उसके महत्तपूर्ण बाह्य रूपों के मूल और वास्तविक स्वरुप का स्पष्ट परिचय दे दिया जाए ! परन्तु पुस्तक के संशिप्त कलेवर के समय ध्यान रखा गया है कि मुख्य प्रवृतियों का विवेचन छूटने न पाए और विद्यार्थी अद्यावधिक शोध-कार्यों के परिणाम से अपरिचित न रह जाएँ ! उन अनावश्यक अटकलबाजियो और अप्रासंगिक विवेचनाओं को समझाने का प्रयत्न तो किया गया है, पर बहुत अधिक नाम गिनाने की मनोवृत्ति से बचने का भी प्रयास है ! इससे बहुत से लेखको के नाम छूट गए हैं, पर साहित्य की प्रमुख प्रवृत्तियां नहीं छूटी हैं ! साहित्य के विद्यार्थियों और जिज्ञासुओं के लिए एक अत्यंत उपयोगी पुस्तक !
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