BHARAT KE PRACHEEN BHASHA PARIWAR AUR HINDI
Material type:
- 9789390971541
- 891.43 R1499 B 110590
Item type | Current library | Call number | Vol info | Status | Barcode | |
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Ubhayabharati | 891.43 R1499 B (Browse shelf(Opens below)) | Volume 1 | Available | 110590 | |
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Ubhayabharati | 891.43 R1499 B (Browse shelf(Opens below)) | Volume 2 | Available | 110591 | |
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Ubhayabharati | 891.43 R1499 B (Browse shelf(Opens below)) | Volume 3 | Available | 110592 |
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891.43 P977 S Sanskriti : Varchswa Aur Pratirodh | 891.43 R1499 B BHARAT KE PRACHEEN BHASHA PARIWAR AUR HINDI | 891.43 R1499 B BHARAT KE PRACHEEN BHASHA PARIWAR AUR HINDI | 891.43 R1499 B BHARAT KE PRACHEEN BHASHA PARIWAR AUR HINDI | 891.43 R1499 B Bhartiya Sahitya Ki Bhumika | 891.43 Sh97 P Parampara :Itihas Bodh Aur Sanskriti | 891.43 V823 V Vyomkesh Darvesh |
भारतीय भाषाओं का आपस में बहुत गहरा रिश्ता है। आर्य, द्रविड़, कोल और नाग—भारत के इन चारों मुख्य भाषा-परिवारों में कई ऐसी भाषाएँ हैं जिन पर बहुत कम बातचीत हुई है, जबकि आधुनिक भारतीय भाषाओं के आपसी सम्बन्धों को जानने के लिए यह कार्य अत्यावश्यक है। दूसरे शब्दों में—आर्य, द्रविड़, कोल और नाग भाषा-परिवारों के अन्तर्गत कम परिचित जितनी भाषाएँ हैं, उनका वैज्ञानिक अध्ययन आम प्रचलित भाषाओं के सम्बन्धों की सही पहचान कराने में सक्षम होगा। साथ ही भारतीय भाषा-परिवारों का विश्व के ग़ैर-भारतीय भाषा-परिवारों से क्या सम्बन्ध है, इसकी भी गहरी पहचान सम्भव होगी। भारतीय भाषाओं के वैज्ञानिक अध्ययन के इसी महत्त्व को रेखांकित करते हुए सुविख्यात समालोचक डॉ. रामविलास जी ने यह कालजयी शोध-कृति प्रस्तुत की थी।
तीन खंडों में प्रकाशित इस ग्रन्थ का यह प्रथम खंड है, जिसमें उन्होंने हिन्दीभाषी क्षेत्र की बोलियों का गहन अध्ययन किया, और हिन्दी तथा सम्बद्ध बोलियों के विकास को प्राचीन आर्य कबीलाई भाषाओं के साथ रखा-परखा है। भाषाविज्ञान पर एक अप्रतिम और युगान्तरकारी ग्रन्थ।
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