Sanskriti Ke Chaar Adhyay
Material type:
- 9788180315954
- 954 R144 S 110596
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | |
---|---|---|---|---|---|---|
![]() |
Ubhayabharati | 954 R144 S (Browse shelf(Opens below)) | Checked out | 06/08/2023 | 110596 |
Browsing Ubhayabharati shelves Close shelf browser (Hides shelf browser)
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
||
954 R1403 C The cultural heritage of India | 954 R1403 C The cultural heritage of India | 954 R1403 C The cultural heritage of India | 954 R144 S Sanskriti Ke Chaar Adhyay | 954 R66 I 104106 India: Society, religion and literature in ancient and medieval society | 954 R66 I 104511 India: Society, religion and literature in ancient and medieval society | 954 Sa 584 S 108027 The incredible history of India's geography |
...यह संभव है कि संसार में जो बड़ी-बड़ी ताकतें काम कर रही हैं, उन्हें हम पूरी तरह न समझ सकें, लेकिन, इतना तो हमें समझना ही चाहिए कि भारत क्या है और कैसे इस राष्ट्र ने अपने सामाजिक व्यक्तित्व का विकास किया गया है ! उसके व्यक्तित्व के विभिन्न पहलू कौन-से हैं और उसकी सुदृढ़ एकता कहाँ छिपी हुई है ! भारत के समस्त मन और विचारों पर उसी का एकाचिकर है ! भारत आज जो कुछ है, उसकी राचन में भारतीय जनता के प्रत्येक भाग का योगदान है ! यदि हम इस बुनियादी बात को नहीं समझ पाते तो फिर हम भारत को भी समझने में असमर्थ रहेंगे ! और यदि भारत को हम नहीं समझ सके तो हमारे भाव, विचार और काम, सब-के-सब अधूरे रह जाएंगे और हम देश की ऐसी कोई सेवा नहीं कर सकेंगे, जो ठोस और प्रभावपूर्ण हों ! मेरा विकाह्र है कि 'दिनकर' की पुस्तक इन बातों को समझने में, एक हद तक, सहायक होगी ! इसलिए, मैं इसकी सराहना करता हूँ और आशा करता हूँ कि इसे पढ़कर अनेक लोग लाभान्वित होंगे !.
There are no comments on this title.